bangladesh today news in hindi बांग्लादेश में सरकार की उथल पुथल के बाद से वहां रह रहे हिन्दुओं के ऊपर हिंसक हमले हो रहे है वहां की अंतरिम सरकर अभी इन हमलों को रोकने में बिलकुल असफल रही। इस असफलता की वजह से लाखो हिन्दुओ की जान पर खरतरा मंडरा रहा है।

हालही में वहा के इस्कॉन मंदिर को टारगेट किया गया।चरम पंथियो ने इस्कॉन मंदिर को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। इन सब पर बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार आंखे बंद कर बैठी हुई है।
उपद्रवियों को हिंदुओं पर हमले करने की खुली छूट दे दी गई है। हिंदुओं पर हो रहे ताजा हमले इस बात के गवाह हैं की पुलिस-प्रशासन और सेना से भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं पर हमले नहीं रोक पा रही है अपने ऊपर हो रहे हमले के खिलाफ आवाज उठाने पर वापस उन्ही पर जुल्म किया जा रहा है।
हिंदू नेता स्वामी चिन्मयदास की गिरफ्तारी, उनको जेल भेजा जाना और जमानत नहीं देना। हिंदुओं का हौसला तोड़ने और उनकी आवाज दबाने का ताजा प्रयास है। बांग्लादेश से आये दिन सोशल मीडिया पर हिन्दुओं के नरसंहार की नयी नयी वीडियो सामने आ रही है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू बहुसंख्यक मुसलमानों के निशाने पर हैं। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से अपदस्थ होने के बाद से ही हिंदुओं पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। मुहम्मद यूनुस द्वारा नई अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार की भूमिका संभालने के बाद संकट और गहरा गया और ढाका में हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला जारी है, जिसमें खास तौर पर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया है
उनके घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों को तोड़ा-फोड़ा जा रहा है, उसमें आग लगाई जा रही है। साथ ही साथ हिंदुओं से जुड़े मंदिरों समेत अन्य प्रतीकों पर भी लगातार हमला हो रहा है। अल्पसंख्यक हिंदुओं की बहन-बेटियों की इज्जत लूटी जा रही है। उनके घर में घुसकर लाठी-डंडों और हथियारों से मारा जा रहा है। पिछले 3 महीने के दौरान बांग्लादेश में सैकड़ो हिंदुओं की हिंसा में जान जा चुकी है।
bangladesh today news in hindi शासन-प्रशासन भी हमलावरो के साथ
हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को शासन-प्रशासन भी रोकने में नाकाम साबित हुआ है। बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ सिर्फ उपद्रवी ही नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन भी बर्बरता कर रहा है।ताजा मामले में चटगांव शहर में एक वकील की हत्या का आरोप हिंदुओं पर लगा दिया गया।
हिंदुओं के नेता स्वामी चिन्मयदास की गिरफ्तारी के विरोध में जब हिंदू सड़क पर उतरे तो उन पर बांग्लादेश प्रशासन ने सुरक्षाकर्मियों पर हमले का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज किया है और उनकी गिरफ्तारी भी की है। ये सभी हिंसक घटनाएं हिंदुओं को देश छोड़कर भाग जाने पर मजबूर कर रही है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर पाकिस्तान से भी अधिक जुर्म
बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की प्रताड़ना का स्तर अब पाकिस्तान से भी कई गुना ज्यादा हो गया है। पाकिस्तान की तर्ज पर हिंदू लड़कियों और बच्चियों को घर से उठाया जा रहा है, उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है और उनकी इज्जत लूटी जा रही है। मगर इन सब अपराधों पर यूनुस सरकार ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है।
#AllEyesOnHindusInBangladesh trending
#AllEyesOnHindusInBangladesh जैसे सोशल मीडिया हैशटैग का उदय गाजा संघर्ष के ।दौरान पहले के वैश्विक अभियान #AllEyesOnRafah की याद दिलाता है। हालाँकि, यह नया हैशटैग सिर्फ़ एक ट्रेंड से कहीं ज़्यादा है – यह बांग्लादेश में हज़ारों हिंदुओं के सामने आने वाली गंभीर वास्तविकता को उजागर करता है। जमात-ए-इस्लामी जैसे समूहों सहित चरमपंथी तत्वों पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगा है।
कनाडा से लेकर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा की मांग करते हुए दुनिया भर में रैलियां निकाली गई हैं। इस वैश्विक आक्रोश ने सोशल मीडिया पर #SaveHindusInBangladesh अभियान की गति को बढ़ा दिया है।
परेशान करने वाली तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें मंदिरों में तोड़फोड़, मूर्तियों और प्रतिमाओं को नष्ट करना, घरों में आग लगाना और हिंदुओं को पीटना और धमकाना दिखाया गया है। ये दृश्य शेख हसीना के जाने के बाद से बांग्लादेश में फैली अराजकता को दर्शाते हैं।
हालाँकि, स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और इस अशांति के पीछे गहरे कारण हैं। अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले अलग-अलग घटनाएँ नहीं हैं; वे उत्पीड़न के व्यापक पैटर्न का हिस्सा हैं जो ऐतिहासिक रूप से राजनीतिक अस्थिरता के दौर के साथ मेल खाता है। 1971 में, बांग्लादेश की स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान, पाकिस्तानी शासन द्वारा 2.5 मिलियन हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी। तब से, हिंदुओं के खिलाफ व्यवस्थित हमले जारी हैं, 2013 से अब तक 3,600 से अधिक घटनाओं की सूचना मिली है।
अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों को हल करने के लिए अंतरिम सरकार की प्रतिबद्धता अब जांच के दायरे में है। क्या इससे ठोस बदलाव आएगा या यह सिर्फ़ एक राजनीतिक दिखावा बनकर रह जाएगा, यह देखना अभी बाकी है। दुनिया देख रही है कि बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
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