मार्क जुकरबर्ग का विवादित बयान के बाद: संसदीय समिति ने लोकसभा 2024 चुनाव के संदर्भ में मेटा को किया तलब

जुकरबर्ग का विवादित बयान: भारत के लोकसभा चुनाव 2024 के बीच, एक ऐसी घटना ने जोर पकड़ा है जिसने राजनीतिक और टेक्नोलॉजी जगत को एक साथ हिलाकर रख दिया है। मेटा (पहले फेसबुक के नाम से जाना जाता था) की मुख्य कंपनी को भारतीय संसद की संसदीय समिति ने तलब किया है, और इसका कारण है उनके सीईओ मार्क जुकरबर्ग का विवादित बयान जो लोकसभा चुनाव के संदर्भ में दिया गया था।

भारत में लोकसभा चुनाव हमेशा से ही दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक अभ्यासों में से एक रहे हैं, जहां सोशल मीडिया की भूमिका हर बार बढ़ती जा रही है। चुनावी रणनीतियों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग, गलत सूचना का प्रसार, और मतदाताओं के प्रभावित होने के मामलों ने हमेशा से ही चिंता का विषय रहे हैं।

जुकरबर्ग का विवादित बयान
जुकरबर्ग का विवादित बयान (photo file:Goodreturns)

क्या है जुकरबर्ग का विवादित बयान

भारत के लोकसभा चुनाव 2024 के बीच, एक ऐसी घटना ने जोर पकड़ा है जिसने राजनीतिक और टेक्नोलॉजी जगत को एक साथ हिलाकर रख दिया है। मेटा (पहले फेसबुक के नाम से जाना जाता था) की मुख्य कंपनी को भारतीय संसद की संसदीय समिति ने तलब किया है, और इसका कारण है उनके सीईओ मार्क जुकरबर्ग का एक विवादास्पद बयान जो लोकसभा चुनाव के संदर्भ में दिया गया था।

संसदीय समिति की मेटा पर क्या कार्रवाई की

 भारतीय संसद की संसदीय समिति ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने मेटा को एक नोटिस जारी किया है जिसमें कंपनी से पूछा गया है कि वे चुनावी प्रक्रिया के संदर्भ में किए गए अपने दावों को स्पष्ट करें। समिति की मांग में यह भी शामिल है कि मेटा को अपने डेटा संग्रह, विज्ञापन नीतियों, और सूचना के प्रबंधन के बारे में स्पष्टीकरण देना होगा। संसदीय समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी संस्था या व्यक्ति भारतीय लोकतंत्र की शुद्धता को प्रभावित न कर सके।

यह विवाद क्यों खड़ा हुआ जाने वजह

इस विवाद की जड़ें काफी गहरी हैं। पिछले कुछ वर्षों में, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को उनके डेटा प्रबंधन और सूचना प्रसार की नीतियों के कारण कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है। भारतीय राजनीतिक दलों ने बार-बार ऐसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से होने वाले प्रचार के दौरान गलत सूचना और चुनावी हस्तक्षेप के खिलाफ आवाज उठाई है।

संभावित परिणाम: मेटा के समक्ष पेश होने और स्पष्टीकरण देने के बाद, कुछ संभावित परिणाम हो सकते हैं:

  • नियमों में परिवर्तन: मेटा को अपनी नीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है ताकि भारतीय चुनाव के समय सूचना के प्रसार को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाया जा सके।
  • दंड या जुर्माना: अगर मेटा किसी भी नियम का उल्लंघन पाया जाता है, तो उन्हें जुर्माना या अन्य दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
  • जनमत का प्रभाव: इस घटना से मेटा और इसके प्लेटफॉर्म्स के प्रति जनमत में बदलाव आ सकता है, जो कि उनके व्यवसायिक हितों को प्रभावित कर सकता है।

मेटा को संसदीय समिति द्वारा तलब किया जाना एक ऐसी घटना है जो न केवल भारतीय राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है बल्कि वैश्विक स्तर पर सोशल मीडिया कंपनियों के दायित्व और जवाबदेही के बारे में बहस को भी पुनर्जीवित कर सकती है। इस विवाद से यह सवाल भी उठता है कि क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स अपने विशाल प्रभाव को समझते हैं और उसका उपयोग किस प्रकार से कर रहे हैं।

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