महाराष्ट्र में होने वाली फसलों में सोयाबीन प्रमुख फसल है जिसका क्षेत्रफल में करीब 50 लाख हेक्टेयर है।

अब तक सोयाबीन की खरीद भी कम
देश के महाराष्ट्र में सबसे अधिक खरीद एजेंसियां हैं फिर भी सोयाबीन की खरीद धीमी गति से चल रही है। तय 13.08 लाख टन में से अब तक केवल 3,887.93 टन की खरीद हुई है। किसान खरीद के लिए एजेंसियों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और बैंडविड्थ को दोषी मान रहे हैं. जबकि एजेंसियां खरीद में धीमी रफ्तार के लिए अधिक नमी को जिम्मेदार मान रही हैं।
केंद्र सरकार का दाव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले नाराज किसानों को आकर्षित के लिए केंद्र सरकार ने प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) के तहत स्टैंडर्ड 12 फीसदी से अधिक 15 फीसदी तक नमी वाली सोयाबीन की खरीद की अनुमति दे दी है. यानी अब 15 फीसदी तक नमी वाली सोयाबीन खरीदी जा सकेगी, पहले यह लिमिट 12 फीसदी थी. अब की बार ज्यादा बारिश से नमी ज्यादा होने की वजह से खरीदारी में परेशानी आ रही थी.
एक रिपोर्ट के अनुसार, डिप्टी कमिश्नर (MPS) बिनोद गिरी द्वारा शुक्रवार शाम को जारी एक ऑफिस ऑर्डर में कहा गया है कि छूट खरीफ 2024-25 सीज़न के लिए एक बार का उपाय है. सामान्य नमी सीमा से अधिक सोयाबीन की खरीद से जुड़े खर्च और नुकसान को राज्य सरकारें वहन करेंगी.
सोयाबीन की कीमत
किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) 4,892 रुपये प्रति क्विंटल से काफी कम मिल रहा है, प्रमुख केंद्र लातूर मार्केट में कीमतें 4,100 रुपये से 4,200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रही हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदर्भ में एक रैली के दौरान सोयाबीन किसानों को मदद देने का वादा किया था. विपक्षी नेता राहुल गांधी ने महा विकास अघाड़ी (MVA) की अगली सरकार बनने पर बोनस के साथ 7,000 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी देने का वादा किया है.
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