महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे प्राचीन और सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन

महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे प्राचीन और सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसका इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। निचे थोड़ा महाकुंभ का वर्णन है

महाकुंभ मेला
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे प्राचीन और सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है

महाकुंभ मेला पौराणिक कथा

महाकुंभ की शुरुआत की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है। मान्यता है कि देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत (अमरता का एलिक्सीर) प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया। जब अमृत का कलश लेकर गरुड़ उड़ रहे थे, तो असुरों और देवताओं के बीच 12 दिनों की लड़ाई हुई, जो मानव काल में 12 वर्ष के बराबर है। इस लड़ाई के दौरान अमृत की कुछ बूँदें चार स्थानों पर गिरीं – प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन। यही वे चार स्थान हैं जहाँ कुंभ मेला आयोजित होता है।

ऐतिहासिक उल्लेख

  • हर्षचरित: बानभट्ट के हर्षचरित में कुंभ मेले का पहला ऐतिहासिक उल्लेख मिलता है। यह 642 ईस्वी में हर्षवर्धन के शासनकाल का विवरण है, जहाँ राजा हर्षवर्धन ने प्रयागराज में कुंभ मेला का आयोजन किया था।
  • मुगल काल: मुगल शासक अकबर ने भी 1583 में प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में कुंभ मेला आयोजित किया। अकबर ने इस मेले को ‘अल्ला-हबाद’ (अल्लाह का बसेरा) नाम दिया, जिससे आधुनिक नाम इलाहाबाद बना।
  • ब्रिटिश काल: ब्रिटिश शासन के दौरान भी महाकुंभ मेले का आयोजन होता रहा, हालांकि ब्रिटिश अधिकारियों ने इसे बड़े पैमाने पर होने वाली भीड़ के कारण चुनौती के रूप में देखा।

महाकुंभ का विकास

  • नियमित आयोजन: हर 12 वर्ष बाद महाकुंभ मेला होता है, लेकिन जब सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति एक विशेष संरेखण में होते हैं, तो 144 वर्ष बाद एक पूर्ण महाकुंभ आयोजित होता है।
  • चार स्थान: कुंभ मेला चार नदियों के संगम पर आयोजित होता है:
    • प्रयागराज: गंगा, यमुना और मिथकीय सरस्वती नदी का संगम।
    • हरिद्वार: गंगा नदी।
    • नासिक: गोदावरी नदी।
    • उज्जैन: शिप्रा नदी।
  • सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व: महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी रखता है। यह हिंदू समाज के विभिन्न संप्रदायों, साधुओं और श्रद्धालुओं के लिए एकता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

आधुनिक युग में महाकुंभ

  • तकनीकी उन्नति: आधुनिक समय में महाकुंभ मेले के प्रबंधन में तकनीक का बड़ा योगदान है। GPS, AI सर्विलांस, और अन्य डिजिटल उपकरण मेले की सुरक्षा और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • पर्यटन और वैश्विक ध्यान: महाकुंभ दुनिया के सबसे बड़े तीर्थयात्रा के रूप में जाना जाता है, जिसमें करोड़ों लोग भाग लेते हैं, जिससे यह एक वैश्विक पर्यटक आकर्षण भी बन गया है।

महाकुंभ का इतिहास हिंदू धर्म के विकास और भारतीय समाज की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आध्यात्मिक और सामाजिक एकता को बढ़ावा देता आ रहा है।

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