भारत में बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध: ऑस्ट्रेलिया के बाद, भारत भी अब बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के इस्तेमाल पर कड़े नियम लाने की तैयारी में है। ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था, जो कि एक बड़ा कदम था बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए। अब, भारत में भी इस दिशा में कदम उठाया जा रहा है।

दरअसल, इस कानून के तहत अब 18 साल से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने पेरेंट्स की इजाजत लेना जरूरी होगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (डीपीडीपी), 2023 के तहत नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है।
इसमें कहा गया है कि डेटा कलेक्शन एंटिटी को भी ध्यान रखना होगा कि जो भी व्यक्ति खुद को बच्चे का मां या बाप बता रहा है, उसके पास कोई कानूनी आधार है या नहीं। इस संबंध में सरकार ने लोगों से सुझाव भी मांगा है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अधिसूचना में क्या कहा है
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि लोग माय गवर्नमेंट डॉट इन पर जाकर इस ड्राफ्ट को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं और इसके संबंध में सुझाव भी दे सकते हैं। हालांकि, इस ड्राफ्ट से संबंधित लोगों की आपत्तियों और सुझावों पर 18 फरवरी से ही विचार किया जाएगा।
भारत में बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध,क्यों उठाया यह कदम?
- मानसिक स्वास्थ्य की चिंताएं: सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बच्चों में चिंता, अवसाद, और नींद की कमी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। भारत में भी, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को बार-बार उजागर किया है।
- साइबर बुलिंग और ऑनलाइन हिंसा: बच्चे ऑनलाइन क्रूरता और साइबर बुलिंग के शिकार हो रहे हैं, जो उनके आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है। इस तरह के प्रतिबंध से बच्चों को इस तरह के नुकसान से बचाने की कोशिश की जा रही है।
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता: बच्चों का डेटा एकत्र करना और उसका दुरुपयोग करना एक बड़ी चिंता है। नए नियमों के अंतर्गत, बच्चों के डेटा का उपयोग या संग्रह करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी, जिससे डेटा सुरक्षा में सुधार हो सके।
- अध्ययन और शारीरिक गतिविधियां: ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताने से बच्चों की पढ़ाई और बाहरी खेलकूद गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रतिबंध या नियंत्रण से बच्चों को अधिक समय पढ़ाई और शारीरिक व्यायाम में लगाने की संभावना बढ़ सकती है।
कैसे लागू होगा यह प्रतिबंध?
- अभिभावकीय नियंत्रण: भारत में नए नियमों के मुताबिक, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए अपने माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होगी। यह नियम डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023 के मसौदा नियमों का हिस्सा है।
- आयु सत्यापन: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बच्चों की उम्र की सत्यापन प्रणाली विकसित करनी पड़ेगी, जो संभवतः बायोमैट्रिक या सरकारी पहचान पत्र के माध्यम से हो सकती है।
- जुर्माने का प्रावधान: नियमों का उल्लंघन करने वाले प्लेटफॉर्म्स पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, जैसा कि ऑस्ट्रेलिया में देखा गया है।
हाल में ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों के लिए सोशल मीडिया किया है बैन
हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। 18 साल से कम उम्र के बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार के इस कदम को काफी अहम माना जा रहा है।
ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने एक बयान में कहा था- सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर न्यूनतम आयु सीमा लागू करने के लिए कानून बनाएगी। यही नहीं, बाद में एक बयान में कहा गया कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार उन सोशल मीडिया कंपनियों पर करोड़ों डॉलर का जुर्माना लगाएगी, जो 16 वर्ष से कम उम्र के नागरिकों को अपनी सर्विस का इस्तेमाल करने से रोकने में नाकाम रहेंगी।
निष्कर्ष:
भारत का यह कदम दुनिया के अन्य देशों की तरह बच्चों के डिजिटल सुरक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है। जबकि यह नियम प्रारंभिक रूप से माता-पिता के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी लाता है, यह बच्चों को ऑनलाइन दुनिया के खतरों से बचाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह देखना बाकी है कि इसका कार्यान्वयन कैसे होता है और यह बच्चों के विकास पर क्या प्रभाव डालता है।
(यह आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है।)
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