“झाँसी मेडिकल कॉलेज”झांसी पहुंचे डिप्‍टी सीएम ब्रजेश पाठक कलेक्‍टर से बोले- जिसने ऐसा किया उसके खिलाफ एक्‍शन लो

झाँसी मेडिकल कॉलेज  में लगी आग पुरे देश को झकझोर दिया है हलाकि दीप्ती सीम मोके परपर पहुंच गए और कलेक्टर को आदेश दिया है तुरन्त कारवाही करने का।इस ह्रदय विदारक दूर्भाग्यपूर्ण घटना में 10 नवजात शिशुओं की जान चली गई।

झाँसी मेडिकल कॉलेज

परिजन कृपाल का भी नवजात इसी वार्ड में एडमिट था. पीड़ित कुलदीप और उनकी पत्नी ने बताया10 दिन पहले उनको बेटा हुआ था. मंगलवार को झांसी मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया. रात में वह अपनी पत्नी के साथ लॉबी में बैठे थे. वे इंतजार में थे कि नर्स बच्चे को दूध पिलाने के लिए उसका नाम पुकारेगी. तभी आग लग गई. तीन बच्चों को उसने बचाया. खुद उसका हाथ जल गया. लेकिन, उसका बेटा कहां है, कोई जानकारी नहीं मिल पा रही. कोई बता दे कि बच्चा जिंदा है या नहीं. उसकी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है.

झाँसी मेडिकल कॉलेज

झाँसी मेडिकल कॉलेज आग लगने का कारण :

घटना बीती रात करीब 10 से 10:30 बजे की है. समय रहते रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई थी. हॉस्पिटल के स्टाफ के मुताबिक प्रथम दृष्टया शॉर्ट सर्किट होने की आशंका है.

कमिश्ननर और डीआईजी घटना की जांच करेंगे, तीन लेयर की होगी इंक्वायरी।  रिपोर्ट के मुताबिक घटना के तुरंत पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक लखनऊ से बाई रोड झांसी के लिए रवाना हो गए. उधर सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख जताया है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा है कि इस दर्दनाक घटना में मारे गए बच्चे के परिवार वालों को राम लला दुख की इस घड़ी में ताकत दें. घटना स्थल पर पहुंचे डिप्टी सीएम ने तीन स्तरों पर जांच के आदेश दिए हैं.

झाँसी मेडिकल कॉलेज पर अखिलेश यादव :

” झाँसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 बच्चों की मृत्यु एवं कई बच्चों के घायल होने का समाचार बेहद दुखद एवं चिंताजनक है। सबके प्रति संवेदनात्मक श्रद्धांजलि। आग का कारण ‘ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर’ में आग लगना बताया जा रहा है। ये सीधे-सीधे चिकत्सीय प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही का मामला है या फिर ख़राब क्वॉलिटी के आक्सीजन कॉन्संट्रेटर का। इस मामले में सभी ज़िम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री जी चुनावी प्रचार छोड़कर, ‘सब ठीक होने के झूठे दावे’ छोड़कर स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए।

जिन्होंने अपने बच्चे गंवाएं हैं, वो परिवारवाले ही इसका दुख-दर्द समझ सकते हैं। ये सरकारी ही नहीं, नैतिक ज़िम्मेदारी भी है। आशा है चुनावी राजनीति करनेवाले पारिवारिक विपदा की इस घड़ी में इसकी सच्ची जाँच करवाएंगे और अपने तथाकथित स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्रालय में ऊपर-से-नीचे तक आमूलचूल परिवर्तन करेंगे। रही बात उप्र के ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ की तो उनसे कुछ नहीं कहना है

क्योंकि उन्हीं के कारण आज उप्र में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था की इतनी बदहाली हुई है। संकीर्ण-साम्प्रदायिक राजनीति की निम्न स्तरीय टिप्पणियाँ करने में उलझे मंत्री जी को तो शायद ये भी याद नहीं होगा कि वो ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ हैं। न तो उनके पास कोई शक्ति है न ही इच्छा शक्ति, बस उनके नाम की तख़्ती है। सबसे पहले उप्र भाजपा सरकार समस्त झुलसे बच्चों के लिए विश्वस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराए व जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है, उन समस्त शोक संतप्त परिवारों को 1-1 करोड़ संवेदना राशि दे। गोरखपुर न दोहराया जाए।’

झाँसी मेडिकल कॉलेज आग 

विभिन्न अस्पताल में 49 बच्चों का इलाज चल रहा है. एक बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया है. आग के कारण सफोकेशन की वजह से किसी बच्चे का इलाज नहीं चल रहा है. बल्कि सभी बच्चे अपनी जिस बीमारी की वजह से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती थे, उसी का इलाज चल रहा है. शॉर्ट सर्किट की वजह से हादसा होने की आशंका जताई जा रही है

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