चीन के राष्ट्रपति का पहला फोन: पीएम मोदी ने खोला राज, क्या कहा था शी जिनपिंग ने 2014 में।

चीन के राष्ट्रपति का पहला फोन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने पॉडकास्ट में एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है, जिसका संबंध 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी पहली फोन बातचीत से है। यह बातचीत उस समय के वैश्विक राजनीतिक परिवेश को समझने में मदद करती है जब भारत और चीन के बीच संबंधों का एक नया अध्याय शुरू हो रहा था।

चीन के राष्ट्रपति का पहला फोन
चीन के राष्ट्रपति का पहला फोन (photo file: jagran.com)

प्रारंभिक बातचीत

2014 में, जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने, तब भारत-चीन संबंधों को नई ऊर्जा देने की आवश्यकता थी। यह समय दोनों देशों के बीच आर्थिक, व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत जरुरी था। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री मोदी को पहली बार फोन करके उन्हें बधाई दी और दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई।

पॉडकास्ट में खुलासा

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पॉडकास्ट में बताया कि शी जिनपिंग ने उनसे कहा था कि वे दोनों देशों के बीच “एक नई शुरुआत” करना चाहते हैं। उन्होंने भारत और चीन के बीच एक सकारात्मक और सहयोगात्मक भविष्य की कल्पना की, जिसमें दोनों देश अपने संबंधों को एक नए स्तर पर ले जा सकें। इस फोन कॉल में, शी जिनपिंग ने विशेष रूप से व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की थी।

पीएम मोदी के बचपन पर निखिल कामथ ने पूछे सवाल

‘पीपल बाई डब्ल्यूटीएफ’ के होस्ट निखिल कामथ ने पीएम मोदी से उनके बचपन के 10 साल के बारे में सवाल पूछा। मोदी जी ने इसका जवाब देते हुए कहा, “सभी जानते हैं कि मेरा जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में हुआ। जब मैं छोटा था तो वहां की आबादी करीब 15 हजार के आसपास थी और मेरा गांव गायकवाड़ स्टेट था जहां की एक खासियत थी, वहां एक तालाब, पोस्ट ऑफिस और लाइब्रेरी होती थी। मैंने वहां के प्राइमरी स्कूल से पढ़ाई की और तालाब होने की वजह से स्विमिंग करना भी सीख गया। मैं खुद ही अपने पूरे परिवार के कपड़े धोता था।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने कहीं पढ़ा कि चीनी फिलॉस्फर ह्वेनसांग मेरे गांव में रहे। मुझे पता चला था।”

मनुष्य हूं, गलती हो सकती है: पीएम मोदी

पीएम मोदी आगे कहते हैं, “मैंने सार्वजनिक रूप से एक भाषण में कहा था कि मैं मेहनत करने में कोई कमी नहीं रखूंगा। दूसरी बात यह कही थी कि मैं खुद के लिए कुछ नहीं करूंगा और तीसरा यह कहा था कि मैं मनुष्य हूं, गलती हो सकती है। बदइरादे से गलत नहीं करूंगा। इन बातों को मैंने अपने जीवन का मंत्र बनाया। गलतियां सबसे होती हैं और मुझसे भी होती हैं। मैं भी मनुष्य हूं, मैं कोई देवता नहीं हूं।”

इस बातचीत का महत्व

इस पहली औपचारिक बातचीत का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह भारत-चीन संबंधों के एक नए युग की शुरुआत को दर्शाता है। वैश्विक व्यवस्था में दोनों देशों की बढ़ती भूमिका के साथ, इस बातचीत ने दोनों नेताओं को एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान किया।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में

यह बातचीत भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को भी दर्शाती है। 2014 के बाद से, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है, और चीन के साथ संबंधों को सुधारना इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। हालांकि, सीमा विवादों और रणनीतिक मुद्दों ने समय-समय पर दोनों देशों के बीच तनाव पैदा किया है, लेकिन ऐसी बातचीतों ने हमेशा संबंधों को सामान्य बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है।

प्रधानमंत्री मोदी के पॉडकास्ट ने न केवल इतिहास की एक झलक दी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे एक सरल फोन कॉल दो राष्ट्रों के बीच कूटनीतिक संबंधों की नींव रख सकता है। यह खुलासा दोनों देशों के संबंधों के विकास को समझने में मदद करता है और उनके बीच संभावित सहयोग की संभावनाओं की ओर इशारा करता है

यह भी पढ़े:पाकिस्तान का फेक न्यूज के खिलाफ 2 अरब रुपये का मोर्चा

Index