ईवीएम के मुद्दे पर उमर अब्‍दुल्‍ला की कांग्रेस को दो टूक, कहा-जनादेश का हो सम्‍मान। 2025

इंड‍ि‍या गठबंधन के सदस्‍यों के बीच व‍िभ‍िन्‍न मुद्दों पर मतभेद का सि‍लस‍िला अभी नहीं थम रहा। गठबंधन की कमान के मुद्दे के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर मतभेद सामने आ गया है।

उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता, हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बारे में अपनी राय व्यक्त करते हुए कांग्रेस पार्टी के विचारों से अलग रास्ता अपनाते दिखे हैं। यह प्रसंग महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के बाद उभरा जब ईवीएम की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाने लगे।

नेशनल कान्‍फ्रेंस के नेता और जम्‍मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला ने इस मुद्दे पर कांग्रेस से अलग व‍िचार प्रकट करते हुए कहा है क‍ि चुनाव हारने पर ईवीएम को दोष देना गलत है। कांग्रेस को वास्तविकता को समझना होगा और जनादेश को स्‍वीकार करना चाह‍िए।

बता दें कि कांग्रेस ने हाल ही में कई राज्यों में चुनाव हारने के बाद ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। इस पर उमर अब्दुल्ला ने अपनी राय दी है।

ईवीएम के मुद्दे पर उमर अब्‍दुल्‍ला की कांग्रेस को दो टूक
ईवीएम के मुद्दे पर उमर अब्‍दुल्‍ला की कांग्रेस को दो टूक (फाइल फोटो-IANS)

अब्दुल्ला ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर कांग्रेस की आलोचना

ईवीएम के मुद्दे पर उमर अब्‍दुल्‍ला ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर कांग्रेस की आलोचना को स्पष्ट रूप से नकार दिया। रविवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि” जब चुनाव में जीत होती है, तो ईवीएम को स्वीकार कर लिया जाता है, लेकिन हार के बाद इसके प्रति सवाल उठाना दोहरे मापदंड की नीति है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें ईवीएम से कोई दिक्कत नहीं है और अगर किसी को इन मशीनों पर भरोसा नहीं है, तो उन्हें चुनाव लड़ने से परहेज करना चाहिए।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि अब्दुल्ला चुनावी परिणामों को स्वीकार करने के लिए जनादेश की महत्ता को प्राथमिकता देते हैं

उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के स्टैंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ कांग्रेस चुनाव में भाग लेती है और दूसरी तरफ ईवीएम को गलत ठहराती है। उन्होंने कहा कि यह रवैया गलत है और कांग्रेस को एक स्पष्ट स्टैंड लेना होगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, “जब इसी ईवीएम के इस्तेमाल से संसद में आपके 100 से अधिक सदस्य पहुंच जाते हैं और आप इसे अपनी पार्टी के लिए जीत का जश्न मनाते हैं, तो आप कुछ महीने बाद पलटकर यह नहीं कह सकते कि हमें ये ईवीएम पसंद नहीं हैं क्योंकि अब चुनाव के परिणाम उस तरह नहीं आ रहे हैं जैसा हम चाहते हैं।”

उमर अब्दुल्ला ने जनादेश की महत्ता पर जोर दिया। उनका मानना है कि चुनावी परिणाम, भले ही वे ईवीएम द्वारा आएं, जनता के निर्णय को दर्शाते हैं। उन्होंने कांग्रेस को सलाह दी कि अपनी हार को स्वीकार करना चाहिए और ईवीएम पर अनावश्यक विवाद को छोड़ना चाहिए। उनके विचार से, चुनावी प्रक्रिया को सुधारने के लिए संवाद और सहयोगात्मक दृष्टिकोण जरूरी है, न कि अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ना

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियों ने राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा के लिए जगह बनाई है। उनके बयानों को उनके सहयोगी दलों और विपक्षी दलों दोनों ने अलग-अलग तरीकों से लिया है। कुछ ने इसे प्रजातंत्र में विश्वास का प्रतीक माना है, जबकि दूसरों ने इसे सत्ता का अहंकार कहा है।

जम्‍मू-कश्‍मीर के सीएम ने अन्य मुद्दों पर क्या कहा

बातचीत के दौरान जब उमर अब्दुल्ला से कहा गया कि आप तो भाजपा के प्रवक्ता की तरह बात कर रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, “ईश्वर ना करें,” और फिर कहा, “नहीं, ऐसा नहीं है, जो सही है, वह सही है।”

उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव में अपनी हार पर बोलते हुए कहा कि जब जनता ने उन्हें वोट नहीं दिया, तो वह हार गए, और इसमें ईवीएम का कोई दोष नहीं था, यह जनादेश था, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार किया।

जम्मू-कश्मीर के सीएम ने यह भी कहा कि वे सच को सच और झूठ को झूठ मानते हैं, और केवल गठबंधन का सहयोगी होने के नाते वह गलत का समर्थन नहीं कर सकते।

परिवार की चौथी पीढ़ी के राजनीति में शामिल होने पर सीएम अब्दुल्ला ने कहा, “जो भी स्थान वे चाहते हैं, उन्हें उसे खुद ही प्राप्त करना होगा। कोई उन्हें तश्तरी में रखकर कुछ नहीं देगा।”

बातचीत के दौरान सीएम अब्दुल्ला ने राजनीति में परिवारवाद को लेकर भाजपा पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा, “भाजपा केवल अपनी सुविधा के मुताबिक परिवारवाद की राजनीति का विरोध करती है, लेकिन उन्हें अपने सहयोगियों की परिवारवाद की राजनीति से कोई समस्या नहीं है।”

नए संसद भवन पर बोलते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, “हर किसी की धारणा के विपरीत, मुझे लगता है कि दिल्ली में सेंट्रल विस्टा परियोजना के साथ जो हो रहा है वह एक बहुत अच्छी चीज है। मेरा मानना ​​है कि नया संसद भवन बनाना एक बेहतरीन विचार था. हमें नए संसद भवन की आवश्यकता थी। पुराना भवन अपनी उपयोगिता खो चुका है।”

इस विवाद ने एक बार फिर से ईवीएम की विश्वसनीयता और चुनावी प्रक्रिया के पारदर्शिता के बारे में बहस को हवा दी है। हालांकि, उमर अब्दुल्ला के रुख से यह स्पष्ट है कि वह चुनावी परिणामों को स्वीकार करने और जनादेश के प्रति सम्मान को प्राथमिकता देते हैं, जो एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक मूल्य है।

(समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट केआधार पर )

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