नई दिल्लीः भारतीय संसद के आगामी बजट सत्र में, मोदी सरकार ने एक नया आयकर विधेयक पेश करने की योजना बनाई है। यह विधेयक, जिसे अत्यंत प्रत्याशित माना जा रहा है, मौजूदा आयकर कानून को सरल बनाने और कर प्रणाली में आमूलचूल सुधार लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।नया आयकर विधेयक लाने का मुख्य उद्देश्य पुराने आईटी कानून को सरल करना और इसके पृष्ठों की संख्या को करीब 60 प्रतिशत तक कम करना है।

कैबिनेट द्वारा प्रस्तावित यह विधेयक न्याय मंत्रालय की समीक्षा के अधीन है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस विधेयक को आगामी बजट सत्र के दूसरे भाग में पेश किया जा सकता है। बजट सत्र 31 जनवरी से 4 अप्रैल तक 2 भागों में चलेगा। बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से होगी। राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगी और इसके बाद आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश किया जाएगा।
एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण लगातार 8वीं बार बजट पेश करेंगी। वह सर्वाधिक बार केंद्रीय बजट पेश करने का रिकॉर्ड पहले ही बना चुकी हैं। पिछले साल उन्होंने पूर्व वित्तमंत्री मोरारजी देसाई को पीछे छोड़ दिया था, जिन्होंने लगातार 6 बार केंद्र सरकार के लिए बजट पेश किया था। बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च से संचालित होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अपने जुलाई बजट में घोषणा के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आईटी अधिनियम, 1961 की विस्तृत समीक्षा की निगरानी के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था।
आयकर विधेयक के मुख्य बिंदु
- सरलीकरण: यह नया विधेयक 63 वर्ष पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा, जिसे अब अप्रासंगिक माना जा रहा है। उद्देश्य है कर प्रणाली की भाषा को सरल बनाना ताकि आम आदमी भी इसे समझ सके।
- टैक्स स्लैब और दरें: विधेयक में कर स्लैब और दरों में बदलाव की संभावना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही संकेत दिए थे कि कर दरों में हल्कापन लाने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे आयकरदाताओं को राहत मिल सके।
- कटौतियों और छूटों का पुनर्मूल्यांकन: विधेयक में वर्तमान कटौतियों और छूटों की समीक्षा भी की जा सकती है, जिससे नई कर प्रणाली में कुछ मौजूदा प्रावधानों को हटाया या संशोधित किया जा सकता है।
- पृष्ठों की संख्या कम करना: अनुमान है कि विधेयक मौजूदा आयकर कानून के पृष्ठों की संख्या को लगभग 60% तक कम करेगा, जिससे कानून की पठनीयता और समझने की आसानी बढ़ेगी।
आईटी कानून को सरल करने के सुझाव
आंतरिक समिति द्वारा की गई समीक्षा में आईटी कानून को और अधिक सरल और स्पष्ट बनाने के साथ-साथ विवादों और मुकदमों को कम करने का प्रस्ताव रखा गया। इसके साथ ही करदाताओं(टैक्सपेयर्स) को अधिक कर निश्चितता देने की भी मांग की गई है।
इस एक्ट के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए लगभग 22 विशेष उप-समितियां भी बनाई गईं। समितियों और उपसमितियों के अलावा आम लोगों को इसकी चार श्रेणियों में सुझाव और इनपुट देने के लिए आमंत्रित किया गया था। ये चार श्रेणियां हैं- भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी और अनुपालन में कमी और अनावश्यक प्रावधानों को हटाना।
आयकर विभाग को अधिनियम की समीक्षा के लिए करीब 6500 लोगों ने सुझाव दिए हैं। नए आयकर बिल को आकार देने में इन सुझावों की अहम भूमिका हो सकती है।
अभी जो आयकर अधिनियम, 1961 है, उसमें 23 अध्याय और 288 अनुभाग शामिल हैं। इन अध्यायों और अनुभागों में प्रत्यक्ष कर, व्यक्तिगत आयकर, कार्पोरेट कर और प्रतिभूति लेन देन कर शामिल हैं।
नए कानून में इन अध्यायों और अनुभागों को कम करने के साथ-साथ अनावश्यक प्रावधान भी हटाए जा सकते हैं।
यह नया आयकर विधेयक एक महत्वपूर्ण कदम है जिसे सभी की नजरें बनी हुई हैं। इसके प्रस्तुत होने के बाद, चर्चा और बहस का एक नया दौर शुरू होगा, जिसमें टैक्स दरें, कटौती, और कर प्रणाली की समग्र संरचना को लेकर व्यापक विश्लेषण किया जाएगा। जब तक विधेयक संसद में पारित नहीं हो जाता, तब तक इसके पूर्ण प्रभाव और लागू होने की संभावनाओं के बारे में कोई स्पष्टता नहीं होगी।
यह भी पढ़े: Emergency Movie Review: इंदिरा गांधी जीवनी-आधारित ऐतिहासिक नाटक फिल्म है