अमेरिका में राम मंदिर की तर्ज पर होगा मंदिर का निर्माण।2025

अयोध्या के भव्य राम मंदिर की तर्ज पर अमेरिका में राम मंदिर निर्माण की खबर ने हिंदू समुदाय के बीच काफी उत्साह भर दिया है। यह प्रोजेक्ट भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में अमेरिका में हिंदू धर्म के प्रसार और संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अमेरिका में राम मंदिर
अमेरिका में राम मंदिर

ह्यूस्टन के पियरलैंड में स्वामी सत्यानंद सरस्वती फाउंडेशन वैश्विक हिंदू समुदाय के लिए इस धार्मिक स्थल का निर्माण कराएगा।केरल हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका कॉन्फ्रेंस के एक हिस्से के रूप में, फाउंडेशन का लक्ष्य 23 नवंबर, 2025 को एक शक्तिशाली, दिव्य स्थान पर ‘बलालया प्रतिष्ठा समारोह’ आयोजित करना है।

अमेरिका में राम मंदिर का डिजाइन और निर्माण:

अयोध्या के राम मंदिर की शैली में निर्मित होने वाला यह मंदिर, नागर वास्तुकला का अनुसरण करेगा, जो न केवल इसकी भव्यता को उजागर करता है बल्कि हिंदू धार्मिक वास्तुकला के प्रति सम्मान को भी दर्शाता है। इस राम मंदिर को बनाने के लिए विशेष रूप से भारत से लाए गए पत्थरों और शिल्पकारों का उपयोग किया जा रहा है, जो मंदिर की सांस्कृतिक और धार्मिक अखंडता को बनाए रखने में मदद करता है।

साल 2026 में पहले चरण का निर्माण होगा पूरा

राम मंदिर निर्माण का पहला चरण 24 नवंबर, 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। नया मंदिर प्रसिद्ध श्री मीनाक्षी मंदिर के सामने स्थित होगा। यह मंदिर पांच एकड़ में फैला होगा। मंदिर निर्माण की आधिकारिक घोषणा अटुकल थंत्री वासुदेव भट्टथिरी के नेतृत्व में प्रार्थना के साथ एक समारोह के दौरान की गई।

पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और वी. मुरलीधरन, पूर्व राज्यपाल कुम्मनम राजशेखरन, एसएनडीपी योगम के उपाध्यक्ष तुषार वेल्लापल्ली, अयप्पा सेवासंघम के अध्यक्ष एम. संगीत कुमार, मुंबई के रामगिरी आश्रम के स्वामी कृष्णानंदगिरी और केरल हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका की अध्यक्ष निशा पिल्लई भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं।

सामुदायिक संलग्नता और धार्मिक महत्व:

इस नए मंदिर का निर्माण न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में हो रहा है बल्कि यह सामुदायिक संबंधों को मजबूत करने और हिंदू धर्म की प्रथाओं, परंपराओं और उत्सवों को बढ़ावा देने का एक माध्यम भी है। इस मंदिर के निर्माण के साथ, अमेरिका में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का एक और अवसर मिलेगा।

परियोजना का क्या उद्देश्य है

इस परियोजना का उद्देश्य आध्यात्मिक एकता को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना और वैश्विक हिंदू समुदाय को सशक्त बनाना है। फाउंडेशन के अधिकारियों ने यह भी कहा कि कई लोगों ने जीवन में एक बार मिलने वाले इस अवसर के लिए समर्थन व्यक्त किया है।

अमेरिका में एक बड़ी हिंदू आबादी रहती है। प्यू रिसर्च सेंटर ने अनुमान लगाया है कि 2015 तक, संयुक्त राज्य अमेरिका में हिंदू धर्म के 17 लाख अनुयायी रहते थे।

सांस्कृतिक प्रभाव:

इस तरह के मंदिर का निर्माण अमेरिका में सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देगा और हिंदू धर्म की वैश्विक पहचान को मजबूत करेगा। यह परियोजना अमेरिकी समाज में हिंदू धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सहायक होगी, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सह-अस्तित्व को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष:

अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर बनने वाला यह नया मंदिर अमेरिका में हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण सन्देश है। यह न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। इस पहल से अमेरिकी समाज में हिंदू धर्म की समझ और स्वीकार्यता बढ़ेगी, जिससे विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद और सहयोग को नई ऊँचाइयाँ मिलेंगी।

(यह आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है।)

यह भी पढ़े:पहले चरण में बांग्लादेश, चीन से 16 चेंगदू जे-10सी फाइटर जेट विमान खरीदने की योजना -सूत्र

Index